भाई सन्नी,
मैं एक पिज़्ज़ा डिलीवरी वाला हूँ| शुक्रवार आपके इतने बड़े से सोसाइटी में एक अपार्टमेंट में डिलीवरी के बाद रास्ता ढूंढते ढूंढते भटक गया था | आपका अपार्टमेंट दिखा | दरवाज़ा खुला था और घर की हालत देख लगा की डकैती या मर्डर हुई है | मैं मदद के लिए अंदर आया तो कोई भी न दिखा | पूरी कहानी बताऊंगा मगर मुद्दे की बात ये हुई की मुझे पता चला की अगले दो दिन यहाँ कोई नहीं आएगा | अब मेरे झोपड़े में तो एयर कंडीशनर है नहीं और बैंगलोर में गर्मी बहुत है, इसलिए मैं ज़रा एयर कंडीशन चला कर बैठ गया | नींद आ गयी और अगले दिन उठा | गलती हो गयी जो यहाँ रुक गया..... क्या कचरा घर है तुम्हारा !
फ्रिज में खाने का सामान नहीं है | वक़्त बेवक़्त किसी को भूक लगे तो वो मर जाएगा | और एक महीने पुरानी सब्जियाँ फेंक दिया करो | बेसन के लिए डब्बे खरीद लो, चींटियाँ बेसन ले जा रही हैं दीवार के अंदर | आलू में पेड़ निकल आये थे, मैंने वो पेड़ तुम्हारे गमले में लगा दिए हैं | किचन में तिलचट्टे बहुत हैं; बिना देखे चलने पे कुछ एक दो तिलचट्टे बेचारे मर जाते हैं | टोस्टर में चारकोल भरा है |
वाशिंग मशीन में रखे कपड़े मशीन के अंदर ही सूख चुके हैं | बाल्टी में भिगोये कपड़ों का रंग बदल चुका है | मोज़ों में साबुन घुसा है | बाथरूम वाला वाश बेसिन का नाला जाम है और उसमें हेयर-जेल का खाली डब्बा तैर रहा है | नल जोर से घुमाया तो टूट कर हाथ में आ गया; सॉरी ! वाश बेसिन के बगल में जो मिटटी रंग का एक छोटा तौलिया है उसमें से गन्दी बू आ रही थी; मैंने उसपे परफ्यूम स्प्रे कर दिया है |
घर पर खाना बनाने वाले (कुक) के लिए कागज पर नोटिस लिखा था - "खाना बनाने वाले भईया, अगले दो दिन मत आना"; वो कागज टेबल पे पड़ा था तो मैंने बाहर के दरवाज़े पे चिपका दिया है | टोर्रेंट डाउनलोड हो चुका था और लैपटॉप ऑन था | फेसबुक पे नूपुर को काफी प्राइवेट मैसेज भेज चुके हो तुम | यकीन मनो, वो लड़की तुम्हारे लीग से बहुत ऊपर है और वो तुम्हें फ्रेंडज़ोन कर चुकी है | शिप्रा से बात कर लो, वो अच्छी लड़की लग रही है | अच्छा हाँ, तुम्हारे i-phone का चार्जर मिल गया; सोफे में कहीं अंदर घुसा था | म्यूजिक सिस्टम वाले वूफर के डब्बे के अंदर से पेन ड्राइव भी मिल गया है | TV के रिमोट की बैटरी डेड हो गयी थी, मैंने नयी बैटरी डाल दी उसमें |
बॉलकोनी वाली कुर्सी पहले से आधी टूटी हुई थी; अब पूरी टूट चुकी है | डीओ और मच्छर मारने वाली स्प्रे अगल बगल रखे थे; मच्छर मारने वाली स्प्रे अब पड़ोसी के घर के बॉलकोनी में चली गयी है | चाय की कप पहले जमीन पे रखी थी; अब वो सोफे के नीचे है कहीं पे | एक मेढ़क भी है कहीं घर में |
तुम्हारा शुभचिंतक
3 comments:
It was a nice short story. Loved it dear.
:) thanks Akshay
badhiya !!
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