Thursday, April 21, 2011

भाग्यवादी

जंग खून के लिए होती है गर दोनों तरफ सही गलत होते हैं |
जंग मजहब के लिए होती है गर सही और गलत अलग होते हैं |
गलत कहाँ नहीं होता है मगर उसूलें हमेशा सही होती हैं|

गलत कहाँ नहीं होता है मगर उसूलें हमेशा सही होती हैं|
फिर भी उसूलों की खातिर, हमने जंग कहाँ सीखी है?
कभी पोरस, कभी गांधी, कभी अन्ना हजारे के पीछे
खड़े होकर हमने तो सिर्फ आवाज़ लगानी सीखी है !!

Wednesday, April 13, 2011

अहँकार

नभ में स्वयं का नाम
और धरा पे भगवान्
कल्पना के मोह में
बंधा है अहम |

वर्षों से ग्रसित है
मानव अब अशक्त है
स्वयं से युद्ध में
परिणाम अपरिहार्य है |