Saturday, October 20, 2007

ढूंढता मैं रहूँ (गाना)

यह गाने के बोल हैं। यह गाना बनने कि प्रक्रिया में है तथा सर्वाधिकार सुरक्षित है।


ढूंढता मैं रहूँ (गाना)



ढूंढता मैं रहूँ, तेरी यादें कहीं।
हर घड़ी, वास्ते तेरे, जिंदगी रही।
मुझसे यादें, तेरे, खोते गए।
फासले बेहिसाब बढ़ते गए।
ढूंढता मैं फिरूं......
ढूंढता आ आ...
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बेनाम रिश्ते,
कैसे ये नाते,
जिसे भूल के तुम,
भुला न सकोगे।
उसे ढूंढता मैं फिरूं....

ढूंढता मैं रहूँ, तेरी यादें कहीं।
हर घड़ी, वास्ते तेरे, जिंदगी रही।
मुझसे यादें, तेरे, खोते गए।
फासले बेहिसाब बढ़ते गए।
ढूंढता मैं फिरूं......ढूंढता आ आ...

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अनजान राहें,
धुंधला सा मंजिल,
राही न जाने,
राहें जाते कहाँ हैं,
उसे ढूंढता फिर रहा।

ढूंढता मैं रहूँ, तेरी यादें कहीं।
हर घड़ी, वास्ते तेरे, जिंदगी रही।
मुझसे यादें, तेरे, खोते गए।
फासले बेहिसाब बढ़ते गए।
ढूंढता मैं फिरूं......ढूंढता आ आ...

Saturday, October 13, 2007

उन यादों को पलट कर देखता हूँ तो पटल पर आकृतियाँ उभर आती हैं. उनको समेटने की कोशिश करता हूँ तो अंगुलियों के बीच से निकल कर मुझ से दूर चली जाती हैं. छूने की कोशिश करता हूँ तो ज्ञात होता है की वहाँ कुछ नहीं बचा, सब टूट चुका है. उन संजीदा पलों से उम्मीद न थी को इतनी बेरुखी से पेश आयेंगी, वक़्त के साथ इतनी बदल जाएँगी.


शायद यही जिंदगी और वक़्त का रिश्ता है.