जंग खून के लिए होती है गर दोनों तरफ सही गलत होते हैं |
जंग मजहब के लिए होती है गर सही और गलत अलग होते हैं |
गलत कहाँ नहीं होता है मगर उसूलें हमेशा सही होती हैं|
गलत कहाँ नहीं होता है मगर उसूलें हमेशा सही होती हैं|
फिर भी उसूलों की खातिर, हमने जंग कहाँ सीखी है?
कभी पोरस, कभी गांधी, कभी अन्ना हजारे के पीछे
खड़े होकर हमने तो सिर्फ आवाज़ लगानी सीखी है !!
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