Saturday, March 26, 2011


मुझसे मेरा पता न पूछो
मैं एक बंजारा हूँ |
तेरी गलियों से गुजरा था
उस एहसास से भीगा हूँ |
रुखी-सी पूरबा थी
मगर फिर भी बारिश हुई |
तब तेरी झलक देखी थी मैंने
और आज उसी के सहारे जिन्दा हूँ |

तेरी चुनरी का रंग याद नहीं मुझे
मैं तो तेरी आँखों का दीवाना था |
तूने हलके से होठ फड़फड़ाये थे
शायद मेरा नाम लिया होगा |
तनहा चलते-चलते अपनी उंगलिओं के बीच
तेरी उंगलियाँ महसूस किया करता हूँ |
आज मद्धम-सी हवाओं में पत्तों के बीच बैठ कर
तेरी आहट का इंतज़ार कर रहा हूँ |

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