Monday, August 31, 2009

कर्मफल

कागज पे पानी से हमने एक तस्वीर बनायी थी
ओ़स की बूंदों से हमने रंगों को घोला था
चिलमन को सहला कर आई हवाओं ने उन्हें सुखाया था
धूप की किरणों ने रंगों को निखारा था
लेकिन ना जाने हमें यह तस्वीर दिखती नहीं है
तस्वीर में कोई चेहरा हँसता नहीं है
क्या शिकायत करें काग़ज से
शिकवे तो रंग से है जो हमने ही बनाये थे

2 comments:

pinkidutta said...

Mr.Jai kumar poet kab se ho gaya

Arun said...

marvellous!
Grand return of Jai Bhaiya.. :)